बुन्देलखण्ड क्रांति दल का सम्मलेन समारोह : 11 सितम्बर 2018

झाँसी । बुंदेलखंड क्रांति दल की प्रेस कॉन्फ्रेंस आज दिनांक 8 सितंबर 2018 को स्कूल रघुराज सिंह इंटर कॉलेज झांसी मेरे संपन्न हुई जिसमें मुख्य रूप से 

कु0 सत्येंद्र पाल सिंह केंद्रीय अध्यक्ष एवं 

हनीफ खान वरिष्ठ पत्रकार राष्ट्रीय महासचिव 

 मोहम्मद अज्जू खान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 

शैलेंद्र वर्मा जिलाध्यक्ष 

मोहम्मद नईम मंसूरी महानगर अध्यक्ष 

अरविंद सिंह सिसोदिया जिला अध्यक्ष युवा क्रांति दल लोकेंद्र सिंह नगर अध्यक्ष मजदूर क्रांति दल 

यशपाल सिंह महामंत्री मजदूर क्रांति दल 

देवेंद्र कुमार अहिरवार 

जामिन हुसैन 

मोहम्मद आरिफ कलाम अतीक मकरानी

राज सिंह शेखावत

 मुकेश राजपूत 

मोहम्मद इसरार 

राकेश विश्वकर्मा 

अजय सिंह 

विपिन विश्वकर्मा व  बुंदेलखंड क्रांति दलके अनेक कार्यकर्त्ता मौजूद रहें 

जिसमें कुंवर सत्येंद्र पाल सिंह ने बुंदेलखंड में बिजली- पानी और रोटी जैसी समस्याओं का निवारण के लिए कई मुद्दे उठाए उनका मानना है बुंदेलखंड में बिजली पानी रोटी की समस्या अगर दूर हो जाए तो बुंदेलखंड काफी विकास करेगा वही उन्होंने बताया बुंदेलखंड आबादी के हिसाब से अगर राज्य बनता है तो 19 में स्थान पर होगा और क्षेत्रफल की दृष्टि के आधार पर बुंदेलखंड 18 स्थान पर होगा बुंदेलखंड में पानी की समस्या मात्र 11% 1947 से अभी तक दूर हुई है वही बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी जनपदों की कार्यकारिणी बुंदेलखंड क्रांति दल की तैयार है 

बुंदेलखंड क्रांति दल के राष्ट्रीय महासचिव हनीफ खान वरिष्ठ पत्रकार का कहना की बुंदेलखंड बनने से बुंदेलखंड का विकास और संपन्न राज्य होगा बुंदेलखंड राज्य बनना बहुत जरूरी है बुंदेलखंड क्रांति दल का सम्मेलन 11 सितंबर 2018 को प्रातः 12:00 बजे से राजकीय संग्रालय झाँसी में होगा जिसमें आप सभी लोग आदर सहित आमंत्रित हैं
हनीफ खान वरिष्ठ पत्रकार 

   राष्ट्रीय महासचिव 

बुन्देलखण्ड क्रांति दल

2 सितम्बर 2018 को नज़मुद्दीन सिद्दकी का झाँसी आगवन : सुलेमान मंसूरी

 भारतीय कांग्रेस  कमेटी के सदस्य श्री सुलेमान मंसूरी एड0 सभासद नेता सदन कांग्रेस नगर निगम झाँसी  ने बताया है कि पूर्व केबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार श्री नसमुंद्दीन सिद्दकी दिनांक 2 सितम्बर को झाँसी आ रहे है 

वह 11 सितम्बर 2018 को झाँसी में जिला स्तरीय पदाधिकारियों के सम्मलेन की समीक्षा बैठक में भाग लेंगे।
अखिल भारतीय कांग्रेस  कमेटी के सदस्य 

श्री सुलेमान मंसूरी एड, सभासद, नेता कांग्रेस

ओबीसी क्या है इसकी उसको भी पहचान नही :मुर्ख कौन ?

त के महापुरुष-महामानव मानवता के मार्गदर्शक…!
✅ *तथागत गौतम बुद्ध OBC*

✅ *भगवान महावीर OBC*

✅ *सम्राट अशोक OBC* 

✅ *संत कबीर साहेब OBC*

✅ *संत बसवेश्वर OBC*

✅ *संत नामदेव OBC*

✅ *संत गोरा कुम्हार OBC*

✅ *संत सेना नाई OBC*

✅ *संत जगनाडे महाराज OBC*

✅ *संत सावता माली OBC*

✅ *संत नरहरी सोनार OBC*

✅ *संत तुकाराम महाराज OBC*

✅ *संत गाडगे महाराज OBC*

✅ *राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज OBC*

✅ *अवंतीबाई OBC*

✅ *अहिल्याबाई होलकर OBC*

✅ *कर्पूरी ठाकुर OBC*

✅ *ई.व्ही.पेरियार रामास्वामी नायकर OBC*

✅ *छत्रपति शिवाजी महाराज OBC*

✅ *छत्रपति शाहु महाराज OBC*

✅ *बडौदा नरेश सयाजीराव गायकवाड OBC*

✅ *महात्मा राष्ट्रपिता ज्योतीबा फुले OBC*

✅ *विद्या की देवी सावित्रीबाई फुले OBC*

✅ *पेरियार ललई सिंह यादव (सच्ची रामायण) कानपुर OBC*

✅ *कर्मवीर भाऊराव पाटील OBC*
*इन OBC लोगों के सहयोग व प्रेरणा से समतावादी आंदोलन को बाबासाहेब डॉ. बाबा साहाब आंबेडकर अपने कंधो पर लेकर निरन्तर आगे बढ़ा रहे थे!*
*यह वो सत्य है जो ओबीसी के लोगो से मात्र इसलिये छिपाया गया कि कही 52% ओबीसी यदि जाग गया तो डॉ. बाबा साहाब की विचारधारा को जान गया तो भारत देश की सत्ता मे उसका कब्जा हो जायेगा, कब्जा नही होना चाहिये इसलिये यह बात छिपायी गयी!*
*यह डॉ. बाबा साहाब को न मानने वालो ने ही राजनीतिक लालच के चलते ऐसा किया तभी तो ब्राम्हण आजभी ओबीसी के प्रति गलत भावना रखते है और ओबीसी को विभीषण कहते है!*
*मै ऐसे चाटुकार और सत्ता के लालचियों को बताना चाहता हूं कि अब ओबीसी जाग रहा है, संभल जाओ…!*
*मेरा समस्त ओबीसी भाइयों से निवेदन है कि इस सत्य को ओबीसी समाज तक पहुंचाये और गर्व से ये बताये कि डॉ.बाबा साहाब को डॉक्टर और वकील तथा विदेश मे पढाने का काम ओबीसी समाज के महापुरुषों ने ही किया!*
*डॉ.बाबा साहाब को न मानने वालों को ये एहसास होना अतिआवश्यक है कि यदि ओबीसी के महापुरुष न होते तो बाबा साहाब डॉॅक्टर व वकील कभी नहीं बन पाते और इतना अच्छा भारतीय संविधान का निर्माण नही हो पाता…!*
*बाबा साहब ने ही OBC की 3743 जातियों को एक समूह OBC में रखकर उन्हें संवैधानिक अधिकार दिया और अनुच्छेद 340 में प्रतिनिधित्व याने आरक्षण की व्यवस्था की, जिस दिन यह छिपाया गया सत्य OBC की 3743 जातियों को समझ में आ जायेगा,* 

*उसी दिन भारत देश मे OBC/SC/ST (जिसकी जितनी भागीदारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी) का कब्जा हो जायेगा और डॉ.बाबा साहाब आंबेडकर जी का सपना पूर्ण हो जायेगा…!*
(*नोट- इतिहास को पढ़ेंगे तो आप को ज्ञात हों जायेगा की सच्चाई क्या हैं…!)

 

2 सितम्बर 2018 को नज़मुद्दीन सिद्दकी का झाँसी आगवन

अखिल भारतीय कांग्रेस  कमेटी के सदस्य श्री सुलेमान मंसूरी एड0 सभासद नेता सदन कांग्रेस नगर निगम झाँसी  ने बताया है कि पूर्व केबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार श्री नसमुंद्दीन सिद्दकी दिनांक 2 सितम्बर को झाँसी आ रहे है 
वह 11 सितम्बर 2018 को झाँसी में जिला स्तरीय पदाधिकारियों के सम्मलेन की समीक्षा बैठक में भाग लेंगे।
अखिल भारतीय कांग्रेस  कमेटी के सदस्य श्री सुलेमान मंसूरी एड 

सभासद, नेता कांग्रेस

अब की बार : भारतीय प्रजा शक्ति पार्टी

नोटा का बटन दबाने से कॉंग्रेस को लाभ होगा. सबसे पहले तो ये जान लो कि नोटा का मतलब None of The Above होता है जिसका मतलब है कि मतदाता को इनमें से कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं है. कोई भी नहीं मतलब कोई भी नहीं, फिर चाहे वो भाजपा का हो या कॉंग्रेस का.
दूसरा तथ्य यदि सवर्ण नोटा दबायेगा तो उसका जो वोट भाजपा को जाने वाला था वह खराब हो जायेगा और कॉंग्रेस को उसका परम्परागत वोट मुसलमान और दलितों का मिलेगा ही. किंतु चाहे कोई भी जीते और कोई भी हारे, शक्ति प्रदर्शन तो होगा सवर्णों का (जैसे 2 अप्रैल को दलितों ने किया था) जिससे सभी पार्टियों को यह संदेश जायेगा कि सवर्ण भी एक्जुट हैं. सभी दलों को लगता है और यह सत्य भी है कि दलित और मुसलमान एक जगह वोट देते हैं और सवर्ण वोट बिखरा हुआ है. यही मिथक तो तोडना है.

भाजपा को भी तो यही दलित वोट चाहिये, उसे कहां पडी है सवर्ण वोट की. उसे भी लगता है कि सवर्णों के वोटों से ज्यादा उसे दलित वोट पर ध्यान देना चाहिये. यदि सवर्णों की इतनी ही परवाह होती तो रामविलास पासवान, रामदास अठावले और उसके दलित सांसद चाहे लाख विरोध करते, मोदी उन्हें कह देता कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है, मैं इसे कैसे बदल दूं, लेकिन ऐसा करता तो दलित वोट उससे छिटक जाते (जोकि न उसके पह्ले थे न कभी होंगे, याद करलो कि कैसे यूपी में भाजपा नेता के अम्बेड्कर को माला पहनाने के बाद उसे गंगाजल से धोया).

अमित शाह का वह भाषण तो सुना ही होगा जिसमें उसने खुला ऐलान कर दिया कि आरक्षण को न खत्म करेंगे न करने देंगे. इससे बडा चांटा क्या होगा सवर्ण समाज के मुंह पर कि जिनके वोटों से सत्ता प्राप्त की उन्हीं को छिटका दिया.

मित्रों, सब जानते हैं कि जो कुछ लोग नोटा से कोंग्रेस को लाभ वाली बात कह रहे हैं, वे-

1. भाजपा के आई. टी. सेल की फेक आई.डी हैं क्योंकि इनका काम ही यही है, सोशल मीडिया पे नज़र रखना और जब इन्होने देखा कि सवर्ण समाज नोटा की तरफ बढ रहा है तो भाजपा के आई. टी. सेल एक्टिव हो गयी और हमारे बीच आ गयी वैचारिक मतभेद पैदा करने.

2. निजी स्वार्थ के चलते भाजपा से जुडे हुये सवर्ण हैं जोकि सिर्फ अपने राजनैतिक कैरियर को बनाने के लिये लालायित हैं, बाकी इन्हें कोई मतलब नहीं चाहे सवर्ण मर जाये.

3.और रही बात हिंदुत्व और देशभक्ति की तो सिर्फ सवर्ण ने ही ठेका नहीं लिया है हिंदुत्व और देशभक्ति का. दलितों को तो सब कुछ दे दिया भाजपा ने तो अब बारी दलितों की है अहसान उतारने की, वे दिखायें हिंदुत्व और देशभक्ति. हमेशा हम ही क्यों?

सवर्ण तो अब बदला लेगा अपने अपमान का और उस अहसानफरामोशी का जो मोदी ने तन-मन-धन से 2014 के चुनावों में साथ देने के बावजूद उनके साथ की है.

अबकी बार, न भाजपा न कॉंग्रेस, 
Bhartiya praja shakti party ko vote denge

अब की बार न बीजेपी , न कांग्रेस इस बार सिर्फ : भारतीय प्रजा शक्ति पार्टी

नोटा जी का बटन दबाने से कॉंग्रेस को लाभ होगा. सबसे पहले तो ये जान लो कि नोटा का मतलब None of The Above होता है जिसका मतलब है कि मतदाता को इनमें से कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं है. कोई भी नहीं मतलब कोई भी नहीं, फिर चाहे वो भाजपा का हो या कॉंग्रेस का.

दूसरा तथ्य यदि सवर्ण नोटा दबायेगा तो उसका जो वोट भाजपा को जाने वाला था वह खराब हो जायेगा और कॉंग्रेस को उसका परम्परागत वोट मुसलमान और दलितों का मिलेगा ही. किंतु चाहे कोई भी जीते और कोई भी हारे, शक्ति प्रदर्शन तो होगा सवर्णों का (जैसे 2 अप्रैल को दलितों ने किया था) जिससे सभी पार्टियों को यह संदेश जायेगा कि सवर्ण भी एक्जुट हैं. सभी दलों को लगता है और यह सत्य भी है कि दलित और मुसलमान एक जगह वोट देते हैं और सवर्ण वोट बिखरा हुआ है. यही मिथक तो तोडना है.

भाजपा को भी तो यही दलित वोट चाहिये, उसे कहां पडी है सवर्ण वोट की. उसे भी लगता है कि सवर्णों के वोटों से ज्यादा उसे दलित वोट पर ध्यान देना चाहिये. यदि सवर्णों की इतनी ही परवाह होती तो रामविलास पासवान, रामदास अठावले और उसके दलित सांसद चाहे लाख विरोध करते, मोदी उन्हें कह देता कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है, मैं इसे कैसे बदल दूं, लेकिन ऐसा करता तो दलित वोट उससे छिटक जाते (जोकि न उसके पह्ले थे न कभी होंगे, याद करलो कि कैसे यूपी में भाजपा नेता के अम्बेड्कर को माला पहनाने के बाद उसे गंगाजल से धोया).

अमित शाह का वह भाषण तो सुना ही होगा जिसमें उसने खुला ऐलान कर दिया कि आरक्षण को न खत्म करेंगे न करने देंगे. इससे बडा चांटा क्या होगा सवर्ण समाज के मुंह पर कि जिनके वोटों से सत्ता प्राप्त की उन्हीं को छिटका दिया.

मित्रों, सब जानते हैं कि जो कुछ लोग नोटा से कोंग्रेस को लाभ वाली बात कह रहे हैं, वे-

1. भाजपा के आई. टी. सेल की फेक आई.डी हैं क्योंकि इनका काम ही यही है, सोशल मीडिया पे नज़र रखना और जब इन्होने देखा कि सवर्ण समाज नोटा की तरफ बढ रहा है तो भाजपा के आई. टी. सेल एक्टिव हो गयी और हमारे बीच आ गयी वैचारिक मतभेद पैदा करने.

2. निजी स्वार्थ के चलते भाजपा से जुडे हुये सवर्ण हैं जोकि सिर्फ अपने राजनैतिक कैरियर को बनाने के लिये लालायित हैं, बाकी इन्हें कोई मतलब नहीं चाहे सवर्ण मर जाये.

3.और रही बात हिंदुत्व और देशभक्ति की तो सिर्फ सवर्ण ने ही ठेका नहीं लिया है हिंदुत्व और देशभक्ति का. दलितों को तो सब कुछ दे दिया भाजपा ने तो अब बारी दलितों की है अहसान उतारने की, वे दिखायें हिंदुत्व और देशभक्ति. हमेशा हम ही क्यों?

सवर्ण तो अब बदला लेगा अपने अपमान का और उस अहसानफरामोशी का जो मोदी ने तन-मन-धन से 2014 के चुनावों में साथ देने के बावजूद उनके साथ की है.

अबकी बार, न भाजपा न कॉंग्रेस, 
Bhartiya praja shakti party ko vote denge

अब की बार : भारतीय प्रजा शक्ति पार्टी

नोटा का बटन दबाने से कॉंग्रेस को लाभ होगा. सबसे पहले तो ये जान लो कि नोटा का मतलब None of The Above होता है जिसका मतलब है कि मतदाता को इनमें से कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं है. कोई भी नहीं मतलब कोई भी नहीं, फिर चाहे वो भाजपा का हो या कॉंग्रेस का.
दूसरा तथ्य यदि सवर्ण नोटा दबायेगा तो उसका जो वोट भाजपा को जाने वाला था वह खराब हो जायेगा और कॉंग्रेस को उसका परम्परागत वोट मुसलमान और दलितों का मिलेगा ही. किंतु चाहे कोई भी जीते और कोई भी हारे, शक्ति प्रदर्शन तो होगा सवर्णों का (जैसे 2 अप्रैल को दलितों ने किया था) जिससे सभी पार्टियों को यह संदेश जायेगा कि सवर्ण भी एक्जुट हैं. सभी दलों को लगता है और यह सत्य भी है कि दलित और मुसलमान एक जगह वोट देते हैं और सवर्ण वोट बिखरा हुआ है. यही मिथक तो तोडना है.

भाजपा को भी तो यही दलित वोट चाहिये, उसे कहां पडी है सवर्ण वोट की. उसे भी लगता है कि सवर्णों के वोटों से ज्यादा उसे दलित वोट पर ध्यान देना चाहिये. यदि सवर्णों की इतनी ही परवाह होती तो रामविलास पासवान, रामदास अठावले और उसके दलित सांसद चाहे लाख विरोध करते, मोदी उन्हें कह देता कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है, मैं इसे कैसे बदल दूं, लेकिन ऐसा करता तो दलित वोट उससे छिटक जाते (जोकि न उसके पह्ले थे न कभी होंगे, याद करलो कि कैसे यूपी में भाजपा नेता के अम्बेड्कर को माला पहनाने के बाद उसे गंगाजल से धोया).

अमित शाह का वह भाषण तो सुना ही होगा जिसमें उसने खुला ऐलान कर दिया कि आरक्षण को न खत्म करेंगे न करने देंगे. इससे बडा चांटा क्या होगा सवर्ण समाज के मुंह पर कि जिनके वोटों से सत्ता प्राप्त की उन्हीं को छिटका दिया.

मित्रों, सब जानते हैं कि जो कुछ लोग नोटा से कोंग्रेस को लाभ वाली बात कह रहे हैं, वे-

1. भाजपा के आई. टी. सेल की फेक आई.डी हैं क्योंकि इनका काम ही यही है, सोशल मीडिया पे नज़र रखना और जब इन्होने देखा कि सवर्ण समाज नोटा की तरफ बढ रहा है तो भाजपा के आई. टी. सेल एक्टिव हो गयी और हमारे बीच आ गयी वैचारिक मतभेद पैदा करने.

2. निजी स्वार्थ के चलते भाजपा से जुडे हुये सवर्ण हैं जोकि सिर्फ अपने राजनैतिक कैरियर को बनाने के लिये लालायित हैं, बाकी इन्हें कोई मतलब नहीं चाहे सवर्ण मर जाये.

3.और रही बात हिंदुत्व और देशभक्ति की तो सिर्फ सवर्ण ने ही ठेका नहीं लिया है हिंदुत्व और देशभक्ति का. दलितों को तो सब कुछ दे दिया भाजपा ने तो अब बारी दलितों की है अहसान उतारने की, वे दिखायें हिंदुत्व और देशभक्ति. हमेशा हम ही क्यों?

सवर्ण तो अब बदला लेगा अपने अपमान का और उस अहसानफरामोशी का जो मोदी ने तन-मन-धन से 2014 के चुनावों में साथ देने के बावजूद उनके साथ की है.

अबकी बार, न भाजपा न कॉंग्रेस, 
Bhartiya praja shakti party ko vote denge

एक रक्षा बंधन इस तरह भी मनाते है लोग : यादव

इस मिटते भाईचारे को।
हर आफत के मारे को।

बलहीन और बेचारे को।

जीवन से हारे हारे को।

रक्षा की जिन्हें जरूरत है,उनसे भी व्यवहार करो।

अपने घर से आगे भी इस उत्सव का विस्तार करो।

ये राखी सरहद से आई है।

जहाँ दुश्मन की परछाई है।

हर सैनिक ने बांधा इसको,

अब अपनी बारी आई है।

सारे भारतवासी मिलके सब इसको स्वीकार करो।

अपने घर से आगे भी इस उत्सव का विस्तार करो।

ये राखी है यमुना गंगे की।

हर उड़ते आजाद परिंदे की

आसमान से ऊंचा कर दो,

है, यह फरियाद तिरंगे की।

इस राखी का मान गिरे न, यह प्रण अंगीकार करो।

अपने घर से आगे भी इस उत्सव का विस्तार करो।

ये राखी वंचित ने भेजी है।

अब तक जो अन देखी है।

इसका जी भर सम्मान करो,

अपमानों ने खूब सहेजी है।

स्वीकार करो ये सब राखी, ऐसा यह त्योंहार करो।

अपने घर से आगे भी इस उत्सव का विस्तार करो।

उत्तर की राखी दक्षिण को।

पूरब की राखी पश्छिम को।

हो जाति की राखी जाति को,

हिन्दू की राखी मुस्लिम को।

हर मजहब बांधे मजहब को, इतना एकाकार करो।

अपने घर से आगे भी इस उत्सव का विस्तार करो।

हिंदी के लोकप्रिय कवि श्री बृजेन्द्र सोनी की राखी पर केंद्रित बहुत सुन्दर व् प्रेरणादायिक एवं  बहुचर्चित रचना “एक राखी ऐसी भी” के रूप में आपको बहिन-भाई के अटूट प्रेम के प्रतिक महापर्व रक्षाबंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं व् बधाई।आप हमेशा स्वस्थ्य व् प्रसन्न रहे और निरंतर प्रगति के पथ पर बढ़ते रहे।

    सुमेरसिंह यादव अधिवक्ता

दाम अश्मान में : पेट्रोल व् डीजल

पेट्रोल आैर डीजल की कीमतों में रविवार से ज्यादा बढ़ोत्तरी की गई है. जहां पेट्रोल में 14 पैसे तक की बढ़ोत्तरी की गर्इ है, वहीं डीजल में 15 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गर्इ है. डीजल में बढोत्तरी के बाद देश में महंगार्इ दर बढ़ने के भी संकेत मिल रहे हैं. दरअसल, डाॅलर के मुकाबले रुपए के गिरने से भी पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़ रहे हैं.

आर्इआेसीएल की वेबसाइट के अनुसार सोमवार को पेट्रोल के दामों में 14 पैसे प्रति लीटर तक की वृद्घि हुर्इ है. राजधानी दिल्ली की बात करें तो पेट्रोल के दाम 13 पैसे की वृद्घि के साथ 77.91 रुपए प्रति लीटर हो चुके हैं. वहीं कोलकाता आैर मुंबर्इ में पेट्रोल की कीमतें 13 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ाए गए हैं. 

इस बढ़ोत्तरी के बाद कोलकाता में पेट्रोल के दाम 80.84 रुपये और मुंबर्इ में 85.33 रुपए प्रति लीटर हो गए हैं. वहीं चेन्नर्इ में पेट्रोल के दाम में 14 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुर्इ है. जिसके बाद चेन्नई में पेट्रोल के दाम 80.94 रुपए प्रति लीटर हो चुके हैं.

वहीं देश में डीजल में आैसतन 15 पैसे प्रति लीटर तक दाम बढ़ाए गए हैं. राजधानी दिल्ली में डीजल के दाम में 14 पैसे प्रति लीटर की वृद्घि हुर्इ है. जिसके बाद यहां पर डीजल के दाम 69.46 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुके हैं. वहीं कोलकाता में डीजल के दाम 72.31 रुपये प्रति लीटर और मुंबर्इ में 73.74 रुपये प्रति लीटर पहुंच चुके हैं. चेन्नर्इ मेे डीजल के दाम में 15 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुर्इ है. जिसके बाद यहां पर डीजल के दाम 73.38 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुके हैं.

जिला पंचायत अध्यक्ष पेड़ पलने के लिए चराती है बकरिया : जूली

समय बड़ा बलवान है, यह कब रंक को राजा और राजा को रंक बना दे कोई नहीं कह सकता। इसी का जीता जागता उदाहरण है, जिला पंचायत अध्यक्ष रही जूली आदिवासी। यह महिला कभी लालबत्ती कार में घूमा करती थी और बड़े बड़े अधिकारी ‘मैडम’ कह कर संबोधित करते थे। आज यह महिला गुमनामी के अंधेरे में बदरवास जनपद की ग्राम पंचायत रामपुरी के ग्राम लुहारपुरा में अपने परिवार के पालन पोषण तक के लिए जद्दोजहद कर रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर आसीन रही गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली इस महिला को इंदिरा आवास योजना के तहत कुटीर तो स्वीकृत हुई परंतु वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। इस कारण यह एक अदद आवास तक के लिए मोहताज है।

उल्लेखनीय है कि कोलारस के पूर्व विधायक रामसिंह यादव के यहां मजदूरी करने वाली महिला जूली आदिवासी को उन्होंने वर्ष २००५ में वार्ड क्रमांक-३ से जिला पंचायत सदस्य बनाया था, बाद में शिवपुरी के पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने उसे जिला पंचायत अध्यक्ष की आसंदी तक पहुंचा दिया। पांच साल तक उसे राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया और अधिकारी उसे मैडम कहकर संबोधित करते थे। आज वही महिला पेट पालने के लिए बकरियां चरा रही है। सरकारी दस्तावेजों में तो उसे इंदिरा गांधी आवास योजना का लाभ मिल चुका है, परंतु जमीनी हकीकत यह है कि सरकारी जमीन पर बनी उसकी झोंपड़ी भी रहने लायक नहीं है। जूली बताती है कि उसे आवास योजना की एक किस्त तो जारी कर दी गई परंतु उसके बाद एक रुपया भी नहीं मिला। इस कारण आवास बनाने के लिए खरीदी गई ईंटें भी जैसी की तैसी झोंपड़ी के बाहर रखी हुई हैं। बकौल जूली उसे एक बकरी चराने के एवज में ५० रुपए महीने मिलते हैं, वह इस समय ५० बकरियों को चराकर अपने परिवार का पालन कर रही है। उसके अनुसार जब बकरियां नहीं होती हैं तो वह मजदूरी करने खेतों पर चली जाती है और जब खेतों पर मजदूरी नहीं मिलती तो गुजरात जाकर मजदूरी करनी पड़ती है, ताकि पेट पाल सके। जूली को इस बात का दुख है कि जिन लोगों ने कभी उसका उपयोग करके पैसा और पहचान बनाई वह अब उसे पहचानने तक से इंकार कर देते हैं।
अधिकारियों ने दुत्कार कर भगा दिया
जूली कहती है कि वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत हो रहे मकानों के लिए जब सेक्रेट्री और जनपद पंचायत पहुंची तो वहां से उसे अधिकारियों ने भी दुत्कार कर भगा दिया। उसकी खुद की झोंपड़ी इस हालत में नहीं है कि उसमें वह अपने परिवार के साथ रह सके।

निजी स्कूल में पढऩे वाले बच्चे कर रहे मजदूरी
जूली आदिवासी के यहां दो लड़कियां तथा तीन लडक़े हैं। जूली कहती हैं कि जब वह जिला पंचायत अध्यक्ष बनी तो उसके सभी बच्चों का एडमीशन अधिकारियों ने प्रायवेट स्कूल में करवा दिया था, वह पढऩे जाते थे और उन्हें पढ़ाने के लिए टीचर भी आता था। आज वही बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं। उनका किसी सरकारी स्कूल तक में एडमिशन नहीं है।

यह मामला आपके द्वारा मेरे संज्ञान में लाया गया है। यदि पूर्व जिपं अध्यक्ष की कुटीर में किसी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है